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कैसा है ये मधुमास प्रिए

कैसा है ये मधुमास प्रिए, गुमसुम है जीवन – आस प्रिए। नीरस है जीवन राग न कोई गीत – विहाग, धूमिल धूमिल उजास प्रिए कैसा है ये मधुमास प्रिए। अब जीवन गीत सुनाए कौन मेरे मन को बहलाए कौन, अब तो सांसों का आना जाना भी, बस इक आभास प्रिए कैसा है ये मधुमास प्रिए।

यादें: गुजरती नहीं कभी

अभी- अभी  जैसे गुजरे हो वो लम्हें जिन्हें हम भूलने की  कोशिश में हैं, पर शायद, कभी कुछ गुजरता है या भुलाया जा सकता है? कितने समझदार हैं  सोचते हैं , सब गुजर जाएगा। पर नहीं,  समय भर देगा  रिक्तिक्ता, और शायद फिर से करना पड़े प्रयास कुछ गुजरा हुआ  भुलाने का।