तृष्णा जनवरी 26, 2014 यह जीवन की तृष्णा, न जाने कब होगी थिर; लक्ष्य दर लक्ष्य हो जाती है और तीव्र, पर नहीं ठहरती यह मृत्यु पश्चात भी। और पढ़ें