तुमने लिखा पानी, कहीं जलजला था, पर आदमी की आँखों का पानी मर चुका था। तुमने लिखी पीड़ा, कराहों और चीख़ों से गूँजते रहे सन्नाटे। तुम जब लिखने लगे भूख; जबरन रोकना पड़ा मुझे तुम्हारा हाथ बर्दाश्त के बाहर थी उस नवजात की चीख़ उसकी माँ को अभी मिटानी थी बहशियों की भूख।
आपके विचारों का प्रतिबिम्ब !