मुझे भय है मरते हुए आदमी को बचा रहने का, मरा हुआ आदमी नहीं रखा जाता देर तक । लेकिन जिन्दगी की तलाश में, मरता है दिनों दिन। दुनिया के रहने से ज्यादा जरूरी है आदमी का रहना। क्योंकि लाशों से और लाशों में संवेदनाएँ नहीं होती हैं।
आपके विचारों का प्रतिबिम्ब !