रात के साये में फुटपाथों पर पसरा आधी रात का आधा शहर ! ठेले, खुमचे वाले, रिक्शे, चाय वाले, काम की तलाश में आये बेरोजगार ! मजबूर मजदूर और उनका परिवार सब को मखमली फुटपाथ, सुला लेता है अपनी गोद में एक माँ के जैसा। और सुबह होते ही दौड़ पड़ेगा फिर से पूरा शहर ; पर कई पिछली रातों सा कल रात भी दिख जाएगा इन्हीं फुटपाथों पर आधी रात के बाद आधा शहर !
आपके विचारों का प्रतिबिम्ब !