सदियों से, हैवानियत कर रही तांडव, इंसानों की शक्ल में बन कर हैवान ! और न जाने कितनी ही "दमिनियाँ" स्वाहा होती रहेंगी, इस हैवान की हवस में! कब ये दमिनियाँ, बनेंगी दावानल, जो निगल जाएँगी हैवानों की नस्ल; हर हैवानियत पर कुछ सहानुभूतियाँ, क्या मिटा सकती हैं यह हैवानियत ? और, क्या रोक पाएंगी इन हैवानों को फिर से किसी दामिनी को इस तरह जिदगी और समाज से लड़ते-लड़ते मर जाने से !
आपके विचारों का प्रतिबिम्ब !