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स्त्री !

चाणक्य !
तुमने कितनी ,
सहजता से कर दिया था;
एक स्त्री की जीविका
का विभाजन !

पर,
तुम भूल गये!
या तुम्हारे स्वार्थी
पुरुष ने
उसकी आवश्यकताओं और
आकाँक्षाओं को नहीं देखा था!


तुम्हें तनिक भी,
उसका विचार नही आया;
दिन - रात सब उसके
तुमने अपने हिस्से कर लिए!


और उसका एक पल
भी नहीं छोड़ा उसके स्वयं के
जीवन जीने के लिए!

टिप्पणियाँ

  1. शुभकामनायें-
    यह पंक्तियाँ प्रस्फुटित हुई |
    आभार ||
    नारी जीवन के करे, जब विद्वान विभाग |
    एक एक पल बाँट ले, नेह समर्पण राग |
    नेह समर्पण राग, सुहाग परमेश्वर होता |
    लेकिन हे चाणक्य, सूत्र जो जीव पिरोता |
    रहटा सदा अलोप, पुरुष की है मक्कारी |
    एक पहर तो छोड़, कहे अपना जो नारी ||

    जवाब देंहटाएं
  2. स्त्री का तो जीवन ही दूसरों के लिए समर्पित होता है..
    वो सभी रिश्तों को दिल से जो जीती है..
    संवेदनशील रचना...

    जवाब देंहटाएं
  3. लाजबाब प्रस्तुति,,,,,बधाई,,
    दुर्गा अष्टमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें *

    RECENT POST : ऐ माता तेरे बेटे हम

    जवाब देंहटाएं
  4. आभार मेरे ब्लॉग पर आने का और समर्थन देने के लिए | आपने सही लिखा है की स्त्री की शक्ति को परिमार्जित कर कोई जीत नहीं सका है |

    जवाब देंहटाएं
  5. नारी जीवन के कटुसत्य को सुन्दरता से उजागर किया है -विजया की शुभकामनायें
    http://vichar-anubhuti.blogspot.in (new post)

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 27/10/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  7. चाणक्य को बीते सदियाँ बीत गयी फिर भी स्त्री के मामले में वही निति कायम है .. जो बेहद अफ़सोस की बात है. बहुत अच्छा लिखा है आपने।
    आपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा।
    अगर आपको अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़ें।
    धन्यवाद !!
    http://rohitasghorela.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  8. सुंदर अभिव्यक्ति
    कब बदलेगा समाज का बिंबस्त्री के प्रति
    पूर्व राज माता भी कुछ ना क्र गयी

    जवाब देंहटाएं
  9. स्त्री के हिस्से तो सदियों से होते आए हैं और आगे भी होते रहेंगे .......बेहद प्रभावी रचना

    जवाब देंहटाएं
  10. स्त्री का तो जन्म जन्म का नाता है तकलीफों से फिर कारण चाणक्य हों या कोई और ...विचारणीय रचना

    जवाब देंहटाएं

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मतलब का मतलब......

 मतलब की दुनिया है-जानते सभी हैं, फिर भी यहाँ मतलब निकालते सभी हैं। अपनापन एक दिखावा भर है फिर भी, जाहिर भले हो लेकिन जताते सभी हैं। झूठी शान -ओ-शौकत चंद लम्हों की है, ये जानते हुए भी दिखाते सभी हैं। नहीं रहेगी ये दौलत सदा किसी की,  जमाने में पाकर इठलाते सभी हैं। मौत है मुत्मइन इक न इक दिन आएगी, न जाने क्यूँ मातम मनाते सभी हैं।

बेख्याली

न जाने किस ख्याल से बेख्याली जायेगी; जाते - जाते ये शाम भी खाली जायेगी। गर उनके आने की उम्मीद बची है अब भी, फिर और कुछ दिन  मौत भी टाली जायेगी। कुछ तो मजाज बदलने दो मौसमों का अभी, पुरजोर हसरत भी दिल की निकाली जायेगी। कनारा तो कर लें इस जहाँ से ओ जानेजां, फिर भी ये जुस्तजू हमसे न टाली जायेगी । कि ख्वाहिश है तुमसे उम्र भर की साथ रहने को, दिये न जल पाये तो फिर ये दिवाली  जायेगी।