मेरे घर का दरवाजा अब भी , तुम्हारा ही इंतजार करता है, आकर जबसे हुआ जाना तेरा , आने का ही ऐतबार करता है / तुम्हारी रुस्वयियों पे हमें , जमाना भी शर्मसार करता है/ एक बार ही एके देख लो इसे, ये दिल तुम्हे ही प्यार करता है/ गर्दिशे-ख़ाक में मिलने से पहले , दीदार-ए-अख्तियार करता है/ है मौत का दिन मुकम्मल फिर क्यूँ , जिंदगी को जार-जार करता है/ मेरे घर का दरवाजा अब भी , तुम्हारा ही इंतजार करता है,
आपके विचारों का प्रतिबिम्ब !