१- अंतर्मन में कैसा है व्योमोहन, व्यग्र जीवन ! २- होकर रिक्त क्यों बना त्यक्त, बन अच्युत ! ३- पाणि कृपाण कर ग्रहण, हेतु तू प्रहरण ! ४- कर मनन , व्यर्थ न हो जीवन ! तज नन्दन ! ५- है प्रभंजन क्रूर काल भंजन हो प्रद्योतन!
आपके विचारों का प्रतिबिम्ब !