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कृत्यांत

लक्ष्य विहीन पथ पर;
भ्रमित गतिज है
यह जीवन!
न स्थायित्व
न ही आलम्बन दृढ़;
नीरवता और भी 
गह्वर हो रही है!
जीवन- लक्ष्य में भटकाव है!

सांसों की गतिशीलता
जीवन लक्षण है, लक्ष्य नही!
सृजेयता की आशाओं को 
व्यर्थ न करो!
तुम्हीं तो कृत्यांत हो 
इस सृजन बिंदु के!

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