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पुनर्निर्माण !


वो आखिरी चट्टान;
जिस पर तुम खड़े हो,
और तुमने जिस हिम्मत से
हिमालय को चुनौती दी है;
पर अब वो चट्टान भी
अपने जनक से विरोध
का साहस नहीं जुटा पा रही है!

और!

यह जल प्लावन भी 
तुम्हें अब नव सृष्टि का 
पुनर्निमाण नहीं करने देगा;
क्योंकि तुम न तो मनु हो,
और न ही कोई श्रृद्धा 
तुम्हें सम्बल देने आएगी!

हाँ!
इड़ा अवश्य तुम्हारे साथ है,
जो सृजन पथ पर ,
तुम्हारा मार्ग दर्शन करेगी!
पर क्या 
पुनर्निर्माण 
सम्भव कर सकोगे!!

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