असत्य,
जिसने बदला इतिहास,
जिसके न होने पर होता है
सत्य का परिहास!
असत्य,
न रखते हुए अस्तित्त्व,
करता सत्य को साकार;
सत्य का जब हुआ उपहास,
असत्य से ही मिला प्रभास!
किचित
असत्य नहीं होता यथार्थ!
परन्तु, सत्य के महत्त्व का
आधार है यही असत्य,
हम अब भी सत्य औ
असत्य के महत्त्व के मध्य,
हैं विभ्रमित और विस्मित !
इस पार है असत्य ,
उस पार वह प्रत्यक्ष ,
सत्य !!
बहुत सही....रचना भीतर गहरे उतरती हुई !!!
जवाब देंहटाएंइस पार है असत्य,
जवाब देंहटाएंउस पार वह प्रत्यक्ष,,,भाव पूर्ण पंक्तियाँ
यही है जीवन का सत्य,,,,
RECENT POST:..........सागर
वाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंउम्दा...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंसशक्त और सार्थक भाव..
अनु
सत्य और असत्य के बीच बिभ्रम कि झीनी चादर को हटाने का एक सार्थक प्रयास ...आपको सत्य सर्जन के लिए बधाई ..बहुत दिनों बाद एक अच्छी कविता पढने को मिली आपको पुन: बधाई
जवाब देंहटाएंसत्य और असत्य के बीच बिभ्रम कि झीनी चादर को हटाने का एक सार्थक प्रयास ...आपको सत्य सर्जन के लिए बधाई ..बहुत दिनों बाद एक अच्छी कविता पढने को मिली आपको पुन: बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सही लिखा है |सत्य और असत्य के बीच विभ्रमित,
जवाब देंहटाएंआशा