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कविता और मृत्यु

कभी पसीने की बूँद से
 उपजती है कविता,
कभी पेट की भूख से;
कुछ जीवन मार दिए जाते हैं,
जिन्दगी जीने से पूर्व ही।
 वाह मृत्यु !
तू महान है,
और तेरा
 यथार्थ सत्य।

टिप्पणियाँ

  1. कोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति ..

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  2. मृत्यु तो सत्य है पर कविता के सौंदर्य से इसे देखना भी एक कला है ...

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