कभी पसीने की बूँद से
उपजती है कविता,
कभी पेट की भूख से;
कुछ जीवन मार दिए जाते हैं,
जिन्दगी जीने से पूर्व ही।
वाह मृत्यु !
तू महान है,
और तेरा
यथार्थ सत्य।
उपजती है कविता,
कभी पेट की भूख से;
कुछ जीवन मार दिए जाते हैं,
जिन्दगी जीने से पूर्व ही।
वाह मृत्यु !
तू महान है,
और तेरा
यथार्थ सत्य।
कोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति ..
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंगहन भाव....
अनु
मृत्यु तो सत्य है पर कविता के सौंदर्य से इसे देखना भी एक कला है ...
जवाब देंहटाएंवाह मृत्यु !
जवाब देंहटाएंतू महान है,
और तेरा
यथार्थ सत्य।
RECENT POST -: पिता
बेहद गहरे अर्थों से लबरेज़ रचना..
जवाब देंहटाएंbahut khub...............marmik abhivayakti....................
जवाब देंहटाएंप्रभावी शब्द
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