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आदमी का बचे रहना

मुझे भय है
मरते हुए आदमी को
बचा रहने का,

मरा हुआ आदमी
नहीं रखा जाता देर तक ।

लेकिन जिन्दगी की तलाश में,
मरता है दिनों दिन।

दुनिया के रहने से
ज्यादा जरूरी है
आदमी का रहना।

क्योंकि लाशों से और
लाशों में संवेदनाएँ नहीं होती हैं।

टिप्पणियाँ

  1. बहुत प्रभावी ... संवेदनाएं क्या सच मे हैं आज ज़िंदा ...?

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  2. दुनिया के रहने से
    ज्यादा जरूरी है
    आदमी का रहना।

    क्योंकि लाशों से और
    लाशों में संवेदनाएँ नहीं होती हैं।
    बहुत ही गंभीर रचना

    जवाब देंहटाएं

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