देश विकास कर रहा है, भुखमरी, बेरोज़गारी और बीमारी से लाचार; फिर भी देश विकास कर रहा है। कभी पुलवामा, कभी ३७०, या फिर राम मन्दिर- सबरीमाला जब- तब लालीपोप का गुल्ला मीडिया के द्वारा , सरकार जनता के जेहन में डाल देती है। और यहां के चार बुद्धि- जीवी टीवी पर जीडीपी, पाक- चीन समस्या पर चपड़- धौं धौ, करके सिस्टम को कोसेंगे, और फिर सरकार यू एन के चक्कर लगाकर जनता को को बताएगी कि हमने पूरी दुनिया को अपने साथ ले आए हैं. लोगो की मेहनत के पैसे टैक्स में छीन कर ये तो मौज करते हैं और जनता विकास के झांसे में रहती है, जबकि मूल मुद्दे वहीं के वहीं रह जाते हैं। फिर भी देश विकास कर रहा है। जब कभी आक्रोश की चिंगारी भड़कने लगती है तो गुमराह करने के लिए नए मुद्दे बनाए जाते हैं- गौ हत्या , दंगा, या मासूमों का बलात्कार । लेकिन कहीं न कहीं तो देश विकास कर रहा है।
आपके विचारों का प्रतिबिम्ब !