किस खता की सजा दिये जाते हो;
खुद ही खुद से अजनबी हुए जाते हो ।
माना गमों का साथ है तमाम उम्र भर;
नाहक ही अश्कों को पिए जाते हो।
सब्र करलो ,सब कुछ नहीं मिलता सबको,
क्यों कर ही मुफलिसी में जिये जाते हो ।
बादलों की छाँव का क्या यकीन करना ,
धूप पर भी क्यों यकीन किये जाते हो।
स्वप्न सी है यह दुनिया दिखावे की दोस्तों,
हकीकत से क्यों दुश्मनी किये जाते हो।
खुद ही खुद से अजनबी हुए जाते हो ।
माना गमों का साथ है तमाम उम्र भर;
नाहक ही अश्कों को पिए जाते हो।
सब्र करलो ,सब कुछ नहीं मिलता सबको,
क्यों कर ही मुफलिसी में जिये जाते हो ।
बादलों की छाँव का क्या यकीन करना ,
धूप पर भी क्यों यकीन किये जाते हो।
स्वप्न सी है यह दुनिया दिखावे की दोस्तों,
हकीकत से क्यों दुश्मनी किये जाते हो।
अति सुन्दर...
जवाब देंहटाएंवाह .. हर शेर लाजवाब ... दाद कबूल कीजिये हजूर ...
जवाब देंहटाएंbhut accha likhte ho g if u wana start a best blog site than visit us
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