तुझे मंदिर , मस्जिद काबा मुबारक ,
मुझे मेरे यार का ठिकाना बता दे !
सलीका क्या है तेरी महफ़िल का ,
साकी मुझे मेरा पैमाना बता दे !
नूरे-चश्म की मयकशीं का नशा कहाँ ,
रहे न होश वो मयखाना बता दे !
तरसती है ये निगाह दीदार को ,
दीदारे-यार नजराना बता दे !
बाकी भी गुजर जाय खुशफहमी में ,
गमे-दिल का सनम खजाना बता दे !
सभी अशआर दिल को छूते हुए...बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार रचना।
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