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यादें: गुजरती नहीं कभी

अभी- अभी 
जैसे गुजरे हो वो लम्हें
जिन्हें हम भूलने की 
कोशिश में हैं,

पर शायद,

कभी कुछ गुजरता है
या भुलाया जा सकता है?



कितने समझदार हैं 
सोचते हैं , सब गुजर जाएगा।


पर नहीं, 
समय भर देगा 
रिक्तिक्ता,
और शायद फिर से
करना पड़े प्रयास
कुछ गुजरा हुआ 
भुलाने का।

टिप्पणियाँ

  1. आपको सूचित किया जा रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल सोमवार (27-08-2018) को "प्रीत का व्याकरण" (चर्चा अंक-3076) पर भी होगी!
    --
    रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. पर नहीं,
    समय भर देगा
    रिक्तिक्ता,
    और शायद फिर से
    करना पड़े प्रयास
    कुछ गुजरा हुआ
    भुलाने का।

    प्रयास तो करना ही पड़ता हैं जीवन में हार नहीं मानते .
    बढ़िया लिखा हैं .आभार

    जवाब देंहटाएं

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