सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

लोनाई और अगरिया

भोजन में

नमक उतना ही
अपरिहार्य है ,
जितना कि
जीवन में लोनाई !

साल्टेड लेज चिप्स
के साथ  रेड लेबल की
चुस्की लेने वाले
टेस्ट ( स्वाद)  की
बातें तो खूब करते हैं
पर
उन्हें जोगनीनार के
अगरिया परिवारों के
दर्द से कोई
वास्ता नहीं !



मिल जाता है
जितनी आसानी से
नमक
उतना आसान  नहीं
है नमक बनाना।
पीढ़ी दर पीढ़िया
खप  रहीं हैं  
कच्छ के
तटों पर। 

शब्दार्थ :  अगरिया- नमक की खेती करने वाले, जोगिनीनार - कच्छ का एक गाँव।  

टिप्पणियाँ

  1. अगरिया antim sanskar m in ka sarir jalta Tak ni aag m 😭

    जवाब देंहटाएं
  2. सत्य कहा आपने जिन सुविधाओं का हम लाभ उठाते हैं, उन्हें हम तक पहुँचाने वालों के कष्ट को हम कभी समझ नहीं पाते।

    जवाब देंहटाएं
  3. सच का उद्गार करती, मन को छूती संवेदनशील रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  4. जी धीरेन्द्र जी , कच्छ के तट की इन वीभत्स सच्चाइयों को आम लोग कतई नहीं जानते | लोग जानना भी नहीं चाहते | और तीसरी बात जानकर वे कर ही क्या सकते हैं | जब तक शोषित खुद अपने शोषण के खिलाफ आवाज ना उठाएगा उसका भला कोई नहीं कर सकता | ईश्वर करे उनके दिन भी बेहतर हों उन्हें भी चैन से जीने का मौक़ा मिलें | नमक की लोनाई से उनके पैर , साँसे और तन सुरक्षित रहें | मार्मिक रचना के लिए साधुवाद |

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मुझे स्त्री ही रहने दो

मैं नहीं चाहूंगी बनना देवी मुझे नहीं चाहिए आठ हाथ और सिद्धियां आठ।   मुझे स्त्री ही रहने दो , मुझे न जकड़ो संस्कार और मर्यादा की जंजीरों में। मैं भी तो रखती हूँ सीने में एक मन , जो कि तुमसे ज्यादा रखता है संवेदनाएं समेटे हुए भीतर अपने।   आखिर मैं भी तो हूँ आधी आबादी इस पूरी दुनिया की।

"मेरा भारत महान! "

सरकार की विभिन्न  सरकारी योजनायें विकास के लिए नहीं; वरन "टारगेट अचीवमेंट ऑन पेपर" और  अधिकारीयों की  जेबों का टारगेट  अचीव करती हैं! फर्जी प्रोग्राम , सेमीनार और एक्सपोजर विजिट  या तो वास्तविक तौर पर  होती नहीं या तो मात्र पिकनिक और टूर बनकर  मनोरंजन और खाने - पीने का  साधन बनकर रह जाती हैं! हजारों करोड़ रूपये इन  योजनाओं में प्रतिवर्ष  विभिन्न विभागों में  व्यर्थ नष्ट किये जाते हैं! ऐसा नहीं है कि इसके लिए मात्र  सरकारी विभाग ही  जिम्मेवार हैं , जबकि कुछ व्यक्तिगत संस्थाएं भी देश को लूटने का प्रपोजल  सेंक्शन करवाकर  मिलजुल कर  यह लूट संपन्न करवाती हैं ! इन विभागों में प्रमुख हैं स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा; कृषि, उद्यान, परिवहन,  रेल, उद्योग, और भी जितने  विभाग हैं सभी विभागों  कि स्थिति एक-से- एक  सुदृढ़ है इस लूट और  भृष्टाचार कि व्यवस्था में! और हाँ कुछ व्यक्ति विशेष भी व्यक्तिगत लाभ क...

बेख्याली

न जाने किस ख्याल से बेख्याली जायेगी; जाते - जाते ये शाम भी खाली जायेगी। गर उनके आने की उम्मीद बची है अब भी, फिर और कुछ दिन  मौत भी टाली जायेगी। कुछ तो मजाज बदलने दो मौसमों का अभी, पुरजोर हसरत भी दिल की निकाली जायेगी। कनारा तो कर लें इस जहाँ से ओ जानेजां, फिर भी ये जुस्तजू हमसे न टाली जायेगी । कि ख्वाहिश है तुमसे उम्र भर की साथ रहने को, दिये न जल पाये तो फिर ये दिवाली  जायेगी।