सरकार की विभिन्न सरकारी योजनायें विकास के लिए नहीं; वरन "टारगेट अचीवमेंट ऑन पेपर" और अधिकारीयों की जेबों का टारगेट अचीव करती हैं! फर्जी प्रोग्राम , सेमीनार और एक्सपोजर विजिट या तो वास्तविक तौर पर होती नहीं या तो मात्र पिकनिक और टूर बनकर मनोरंजन और खाने - पीने का साधन बनकर रह जाती हैं! हजारों करोड़ रूपये इन योजनाओं में प्रतिवर्ष विभिन्न विभागों में व्यर्थ नष्ट किये जाते हैं! ऐसा नहीं है कि इसके लिए मात्र सरकारी विभाग ही जिम्मेवार हैं , जबकि कुछ व्यक्तिगत संस्थाएं भी देश को लूटने का प्रपोजल सेंक्शन करवाकर मिलजुल कर यह लूट संपन्न करवाती हैं ! इन विभागों में प्रमुख हैं स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा; कृषि, उद्यान, परिवहन, रेल, उद्योग, और भी जितने विभाग हैं सभी विभागों कि स्थिति एक-से- एक सुदृढ़ है इस लूट और भृष्टाचार कि व्यवस्था में! और हाँ कुछ व्यक्ति विशेष भी व्यक्तिगत लाभ के लिए, इन अधिकारीयों और विभागों का साथ देते हैं; और लाभान्वित होते है या होना चाहते ह
Asehniye pida ka ullekh boht khurut
जवाब देंहटाएंअगरिया antim sanskar m in ka sarir jalta Tak ni aag m 😭
जवाब देंहटाएंसत्य कहा आपने जिन सुविधाओं का हम लाभ उठाते हैं, उन्हें हम तक पहुँचाने वालों के कष्ट को हम कभी समझ नहीं पाते।
जवाब देंहटाएं🙏🙏
हटाएंसच का उद्गार करती, मन को छूती संवेदनशील रचना ।
जवाब देंहटाएं🙏🙏
हटाएंजी धीरेन्द्र जी , कच्छ के तट की इन वीभत्स सच्चाइयों को आम लोग कतई नहीं जानते | लोग जानना भी नहीं चाहते | और तीसरी बात जानकर वे कर ही क्या सकते हैं | जब तक शोषित खुद अपने शोषण के खिलाफ आवाज ना उठाएगा उसका भला कोई नहीं कर सकता | ईश्वर करे उनके दिन भी बेहतर हों उन्हें भी चैन से जीने का मौक़ा मिलें | नमक की लोनाई से उनके पैर , साँसे और तन सुरक्षित रहें | मार्मिक रचना के लिए साधुवाद |
जवाब देंहटाएंसाभार धन्यवाद आपका
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