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शब्द : अर्थ और नये आयाम !

शब्द,
ध्वनि  व  अर्थ  में,
रखता  है
विलक्षण  अस्तित्व.
शब्द,
जीवन  व कर्म  में
प्रकट करता है
यथार्थ व्यक्तित्व.
शब्द,
उत्पन्न करता है
अंतर्मन  में,
संशय- विस्मय.
शब्द,
हो जाया करता है
प्रायः  बहु अर्थी
गह्वर, रहस्यमय !

शब्द,
स्थापित करता है
जाने-अनजाने
कितने ही सम्बन्ध
शब्द,
विच्छेदित करता है
कितने ही पुराने
किये हुए अनुबंध !.


टिप्पणियाँ

  1. वाकई ज़रा भी असावधानी हो जाए तो अर्थ का अनर्थ हो जाता है !
    शब्दों को परिभाषित करती बहुत ही सुंदर रचना!

    जवाब देंहटाएं
  2. manushy mar jata hai lekin shabd amar ho jate hai bahut sundar bhav

    जवाब देंहटाएं
  3. शब्द, हो जाया करता है प्रायः बहु अर्थी......
    शब्द, स्थापित करता है जाने -अनजाने कितने ही संबंध
    खूबसूरत पंक्तियाँ
    धीरेन्द्र भाई....साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. शब्द का सुन्दर शब्द चित्रण
    श्रेष्ठ रचना
    सच में शब्द एक बहुआयामी शब्द है

    जवाब देंहटाएं

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मतलब का मतलब......

 मतलब की दुनिया है-जानते सभी हैं, फिर भी यहाँ मतलब निकालते सभी हैं। अपनापन एक दिखावा भर है फिर भी, जाहिर भले हो लेकिन जताते सभी हैं। झूठी शान -ओ-शौकत चंद लम्हों की है, ये जानते हुए भी दिखाते सभी हैं। नहीं रहेगी ये दौलत सदा किसी की,  जमाने में पाकर इठलाते सभी हैं। मौत है मुत्मइन इक न इक दिन आएगी, न जाने क्यूँ मातम मनाते सभी हैं।

बेख्याली

न जाने किस ख्याल से बेख्याली जायेगी; जाते - जाते ये शाम भी खाली जायेगी। गर उनके आने की उम्मीद बची है अब भी, फिर और कुछ दिन  मौत भी टाली जायेगी। कुछ तो मजाज बदलने दो मौसमों का अभी, पुरजोर हसरत भी दिल की निकाली जायेगी। कनारा तो कर लें इस जहाँ से ओ जानेजां, फिर भी ये जुस्तजू हमसे न टाली जायेगी । कि ख्वाहिश है तुमसे उम्र भर की साथ रहने को, दिये न जल पाये तो फिर ये दिवाली  जायेगी।

स्त्री !

चाणक्य ! तुमने कितनी , सहजता से कर दिया था; एक स्त्री की जीविका का विभाजन ! पर, तुम भूल गये! या तुम्हारे स्वार्थी पुरुष ने उसकी आवश्यकताओं और आकाँक्षाओं को नहीं देखा था! तुम्हें तनिक भी, उसका विचार नही आया; दिन - रात सब उसके तुमने अपने हिस्से कर लिए! और उसका एक पल भी नहीं छोड़ा उसके स्वयं के जीवन जीने के लिए!