जब शाम ढले,
पीपल छाँव तले;
जल-गागर का प्यार पले...........!
गाँव की गोरी,
करके नजरों की चोरी;
जब घूँघट के पट खोले.............!
तन--मन झूमे भर-भर हिंडोले ....!
करके नजरों की चोरी;
जब घूँघट के पट खोले.............!
तन--मन झूमे भर-भर हिंडोले ....!
कोयल राग सुनाये,
माटी का कण भाग जगाये;
आकर गोरी के पाँव तले.........!
हर भँवरे का बदन जले...........!
जब शाम ढले,
पीपल छाँव तले;
जल-गागर का प्यार पले...........!
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