मेरे हाकिम यह तो बता तेरा पयाम क्या है,
अवाम की नजरों में तेरा आयाम क्या है।
चंद टुकड़ों खातिर देश को ही बेच दिया,
ये गद्दारी नहीं तो फिर नमक हराम क्या है।
फरामोशियां दिखती हैं तेरे अहसानों में,
मुखालिफों के वास्ते एहतराम क्या है।
बहुत सारे ख्वाब हैं इन आंखों की पलकों पर,
अब ये तुम्हारी नई सुबह क्या, शाम क्या है।
मिट जाएगी यह शोहरत तेरी पल भर में,
बता फिर जन्नत के खातिर इंतज़ाम क्या है।
अवाम की नजरों में तेरा आयाम क्या है।
चंद टुकड़ों खातिर देश को ही बेच दिया,
ये गद्दारी नहीं तो फिर नमक हराम क्या है।
फरामोशियां दिखती हैं तेरे अहसानों में,
मुखालिफों के वास्ते एहतराम क्या है।
बहुत सारे ख्वाब हैं इन आंखों की पलकों पर,
अब ये तुम्हारी नई सुबह क्या, शाम क्या है।
मिट जाएगी यह शोहरत तेरी पल भर में,
बता फिर जन्नत के खातिर इंतज़ाम क्या है।
जिसका जमीर मर गया वह इंसान नहीं हो सकता
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...
धन्यवाद।
हटाएंRation Card
जवाब देंहटाएंआपने बहुत अच्छा लेखा लिखा है, जिसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।