कहानी उस रोज की
अब तक पढ़ता आ रहा हूँ;
हर दिन एक नया पन्ना,
मेरी आँखों में फड़फडाता है !
हर शाम मैं सोंचता हूँ
ये अंतिम पृष्ठ है
उस कहानी का,
पर रात आते ही
एक नये पन्ने की
उद्विग्नता पूर्ण
शुरुवात हो जाती है !
मैं फिर से
पढने लग जाता हूँ
उस अधूरी कहानी को
इस जिज्ञासा से
शायद आज यह
अंतिम पृष्ठ होगा!
?
सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको
जवाब देंहटाएंये कहानी ऐसी ही हर रोज एक नई जिज्ञासा लेकर आ जाती है, कोई नहीं जनता इसका अंतिम पृष्ठ कौन सा होगा.. गहन अभिव्यक्ति... आभार
जवाब देंहटाएंहर रोज नया पृष्ठ नई कहानी,,,लाजबाब अभिव्यक्ति,,बधाई
जवाब देंहटाएंrecent post: वह सुनयना थी,