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किस खता की सजा दिये जाते हो

किस खता की सजा दिये जाते हो; खुद ही खुद से अजनबी हुए जाते हो । माना गमों का साथ है तमाम उम्र भर; नाहक ही अश्कों को पिए जाते हो। सब्र करलो ,सब कुछ नहीं मिलता सबको, क्यों कर ही मुफलिसी में जिये जाते हो । बादलों की छाँव का क्या यकीन करना , धूप पर भी क्यों यकीन किये जाते हो। स्वप्न सी है यह दुनिया दिखावे की दोस्तों, हकीकत से क्यों दुश्मनी किये जाते हो।