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अप्रैल, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

इस धरती की आधी दुनिया

रोटी के जरा सी जल जाने भर से जला दी जाती हैं स्त्रियाँ। बेटों के जन्म न देने भर से मार दी जाती हैं, कोख में ही बेटियाँ  ।। और वर्जित है जिन्हें प्रेम करना  ।। ये स्त्रियाँ इस समाज का आधा हिस्सा हैं, आधी दुनिया हैं इस धरती की।। जिनका  भूगोल तो बना दिया गया है, पर गणितीय सिद्धांत अभी भी सहूलियत के अनुसार बदल लेते हैं ये गणिताचार्य ।।

स्त्री विमर्श

स्त्री घर से निकल कर फिर घर में आ जाती है। हर पल वह व्यस्त है पुरुष की परवरिश में । और पुरुष निगल जाता है स्त्री का पूरा वजूद  । क्या  कहीं से कोई परिवर्तन की आशा दिखाई देती है  !! शायद अब कुछ स्त्रियाँ पुरुष बनने की प्रक्रिया से गुजरने की सोच रहीं हैं  ।। पर पुरुष ने षड्यंत्रों की परिभाषाओं को बदल दिया है। एक नया जाल किया है तैयार " स्त्री विमर्श "।

आह्वान

हर वो जंजीर जो जकड़े हुए है तुम्हें दासता या विवशता में, तोड़ना होगा। और हाँ अपनी कोमलता और सहृदयता को अब आयुध में बदलना होगा।। पर ध्यान रहे तुम्हारा दायित्व सृजन का है, कहीं यह रौद्रता प्रलयंकर न बन जाए।।