स्त्री
घर से निकल कर
फिर घर में
आ जाती है।
हर पल
वह व्यस्त है
पुरुष की
परवरिश में ।
और
पुरुष
निगल जाता है
स्त्री का
पूरा वजूद ।
क्या
कहीं से कोई
परिवर्तन की
आशा दिखाई देती है !!
शायद
अब कुछ स्त्रियाँ
पुरुष बनने की
प्रक्रिया से गुजरने
की सोच रहीं हैं ।।
पर
पुरुष ने
षड्यंत्रों की
परिभाषाओं
को बदल दिया है।
एक नया जाल
किया है तैयार
" स्त्री विमर्श "।
घर से निकल कर
फिर घर में
आ जाती है।
हर पल
वह व्यस्त है
पुरुष की
परवरिश में ।
और
पुरुष
निगल जाता है
स्त्री का
पूरा वजूद ।
क्या
कहीं से कोई
परिवर्तन की
आशा दिखाई देती है !!
शायद
अब कुछ स्त्रियाँ
पुरुष बनने की
प्रक्रिया से गुजरने
की सोच रहीं हैं ।।
पर
पुरुष ने
षड्यंत्रों की
परिभाषाओं
को बदल दिया है।
एक नया जाल
किया है तैयार
" स्त्री विमर्श "।
हाँ ,पुरुष-विमर्ष अब तक कहीं देखने में नहीं आया !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद माँ ।
हटाएंsachchai bayan karti rachna.....umda
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar post
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