चाणक्य !
तुमने कितनी ,
सहजता से कर दिया था;
एक स्त्री की जीविका
का विभाजन !
पर,
तुम भूल गये!
या तुम्हारे स्वार्थी
पुरुष ने
उसकी आवश्यकताओं और
आकाँक्षाओं को नहीं देखा था!
तुम्हें तनिक भी,
उसका विचार नही आया;
दिन - रात सब उसके
तुमने अपने हिस्से कर लिए!
और उसका एक पल
भी नहीं छोड़ा उसके स्वयं के
जीवन जीने के लिए!
तुमने कितनी ,
सहजता से कर दिया था;
एक स्त्री की जीविका
का विभाजन !
तुम भूल गये!
या तुम्हारे स्वार्थी
पुरुष ने
उसकी आवश्यकताओं और
आकाँक्षाओं को नहीं देखा था!
तुम्हें तनिक भी,
उसका विचार नही आया;
दिन - रात सब उसके
तुमने अपने हिस्से कर लिए!
और उसका एक पल
भी नहीं छोड़ा उसके स्वयं के
जीवन जीने के लिए!
सुन्दर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
जवाब देंहटाएंयह पंक्तियाँ प्रस्फुटित हुई |
आभार ||
नारी जीवन के करे, जब विद्वान विभाग |
एक एक पल बाँट ले, नेह समर्पण राग |
नेह समर्पण राग, सुहाग परमेश्वर होता |
लेकिन हे चाणक्य, सूत्र जो जीव पिरोता |
रहटा सदा अलोप, पुरुष की है मक्कारी |
एक पहर तो छोड़, कहे अपना जो नारी ||
रविकर जी !
हटाएंबहुत -बहुत साभार!
स्त्री का तो जीवन ही दूसरों के लिए समर्पित होता है..
जवाब देंहटाएंवो सभी रिश्तों को दिल से जो जीती है..
संवेदनशील रचना...
लाजबाब प्रस्तुति,,,,,बधाई,,
जवाब देंहटाएंदुर्गा अष्टमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें *
RECENT POST : ऐ माता तेरे बेटे हम
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंअनु
सटीक ... बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसाभार!
जवाब देंहटाएंसाभार!
जवाब देंहटाएं:)... कुछ शब्दों में कितना सच कह gaye ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरे ब्लॉग पर आने का और समर्थन देने के लिए | आपने सही लिखा है की स्त्री की शक्ति को परिमार्जित कर कोई जीत नहीं सका है |
जवाब देंहटाएंनारी जीवन के कटुसत्य को सुन्दरता से उजागर किया है -विजया की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंhttp://vichar-anubhuti.blogspot.in (new post)
विचारणीय भाव .....
जवाब देंहटाएंआपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 27/10/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसशक्त और प्रभावशाली रचना.....
जवाब देंहटाएंचाणक्य को बीते सदियाँ बीत गयी फिर भी स्त्री के मामले में वही निति कायम है .. जो बेहद अफ़सोस की बात है. बहुत अच्छा लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा।
अगर आपको अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़ें।
धन्यवाद !!
http://rohitasghorela.blogspot.com
SARVPRATHAM VIJAYADASHMI KI HAARDIK SUBHKAAMNAAYEN...
जवाब देंहटाएंSANKSHIPT ME SUNDAR CHITRAN....
nari vytha ki sundar prastuti
जवाब देंहटाएंनमन आपके भाव और कृति को !
जवाब देंहटाएंआपके भाव और कृति को नमन !
जवाब देंहटाएंसटीक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंकब बदलेगा समाज का बिंबस्त्री के प्रति
पूर्व राज माता भी कुछ ना क्र गयी
प्रभावी रचना
जवाब देंहटाएंस्त्री के हिस्से तो सदियों से होते आए हैं और आगे भी होते रहेंगे .......बेहद प्रभावी रचना
जवाब देंहटाएंस्त्री का तो जन्म जन्म का नाता है तकलीफों से फिर कारण चाणक्य हों या कोई और ...विचारणीय रचना
जवाब देंहटाएंsahi kaha apne.....stri kay saath aisa hota aya hai...aur pata nahi kab tak aisa rahega
जवाब देंहटाएंआह!
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव
जवाब देंहटाएं