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टूट कर जो न बिखरे वो शख्सियत है,


टूट कर जो न बिखरे वो शख्सियत है,
वरना जमाने में कमी नहीं आदमी की !

गिर कर जो फिर सम्भल जाय ठोकरों से,
देता है जमाना मिसाल उस आदमी की !

हर एक गम में जो मुस्कराता रहे सदा,
पूरी होती तमन्ना-ए-जिन्दगी उस आदमी की !

हालतों से लड़ जीत लेता है जो जंग-ए- जिन्दगी,
आसाँ हो जाती है राह -ए-मंजिल उस आदमी की !

जो बनता है मुकद्दर मिटाकर खुद की हस्ती को,
और भी संवर जाती है जिन्दगी उस आदमी की !

टूट कर जो न बिखरे वो शख्सियत  है,
वरना जमाने में कमी नहीं आदमी की !

टिप्पणियाँ

  1. सच है आदमी हर कठिनाई से मुक़ाबला कर सकता है ....

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  2. हर दर्द सीने में छिपा लेते है ,हर शख्स को अपना बना लेते हैं ,शानदार पोस्ट ,बधाई |आपके ब्लॉग पर आना सार्थक हुआ|

    जवाब देंहटाएं
  3. जीवन के विविध प्रसंगों को समेटे आपकी रचना सार्थक है ...!

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह...
    शानदार अभिव्यक्ति...!!

    कुछ ऐसे भी इंसान होते हैं...
    दर्द सीने में छुपा लेते हैं...!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर भाव लिए सार्थक रचना...
    बहुत खूब....
    :-)

    जवाब देंहटाएं
  6. सच बात है ...
    बढ़िया सम्प्रेषण!
    शुभकामनायें आपको !

    जवाब देंहटाएं

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