सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

नवंबर, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तोड़ कर दिल कोई जब........

तोड़ कर दिल कोई जब रिश्तों की बात करता है। जैसे जिन्दगी उधार हो और किश्तों की बात करता है। उम्र भर दुश्मनी से दामन जोड़, फरिश्तों की बात करता है। लूट कर रात दिन का सुकून, गुलिश्तों की बात करता है।। तोड़ कर दिल कोई जब रिश्तों की बात करता है।

हार क्यों मानूं अभी से

जिन्दगी कोई बिना जिन्दगी के गुजरती नहीं, सांसें दौड़  रहीं हैं समय को हराने के लिए। भले ही हार जायेंगी एक दिन । तब तक हार मान कर खुद ही टूटने वाली नहीं हैं। फिर भला मैं ये कैसे मान लूँ कि हार चुका हूँ! जब तक हारा नहीं हूँ, जीत की उम्मीद पर जी तो सकता हूँ, जी भर कर ।।