सरकार की विभिन्न सरकारी योजनायें विकास के लिए नहीं; वरन "टारगेट अचीवमेंट ऑन पेपर" और अधिकारीयों की जेबों का टारगेट अचीव करती हैं! फर्जी प्रोग्राम , सेमीनार और एक्सपोजर विजिट या तो वास्तविक तौर पर होती नहीं या तो मात्र पिकनिक और टूर बनकर मनोरंजन और खाने - पीने का साधन बनकर रह जाती हैं! हजारों करोड़ रूपये इन योजनाओं में प्रतिवर्ष विभिन्न विभागों में व्यर्थ नष्ट किये जाते हैं! ऐसा नहीं है कि इसके लिए मात्र सरकारी विभाग ही जिम्मेवार हैं , जबकि कुछ व्यक्तिगत संस्थाएं भी देश को लूटने का प्रपोजल सेंक्शन करवाकर मिलजुल कर यह लूट संपन्न करवाती हैं ! इन विभागों में प्रमुख हैं स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा; कृषि, उद्यान, परिवहन, रेल, उद्योग, और भी जितने विभाग हैं सभी विभागों कि स्थिति एक-से- एक सुदृढ़ है इस लूट और भृष्टाचार कि व्यवस्था में! और हाँ कुछ व्यक्ति विशेष भी व्यक्तिगत लाभ के लिए, इन अधिकारीयों और विभागों का साथ देते हैं; और लाभान्वित होते है या होना चाहते ह
खूबसूरत भावाभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंडॉ अजय
drakyadav.blogspot.in
bahut hi sundar rachna............badhai
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : समझ में आया बापू .
और जीवन यूँ ही निरंतर चलता रहता है. सुन्दर.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,,
जवाब देंहटाएंसमाज सुधार कैसे हो? ..... - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः14
bahut hi behtarin prastuti...
जवाब देंहटाएं:-)
जो दिन के उजाले में गुनाह करता है उसे रात कहां ढूंढ पाएगी ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब गहरी सोच से उपजी रचना ...
sir jo gunaho karta hai,us k liye kya din kya raat.............par bahut umda soch.......badhai dheerendra ji.......
जवाब देंहटाएंमार्मिक रचना । सुन्दर शब्द संयोजन । बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
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