इस बार भी
एक विशिष्ट जनों का दल
जा रहा है यूनेस्को की अंतर्राष्ट्रीय
बैठक में हर बार की तरह ,
इस बार भी कूड़े से कबाड़ बीनने वालों की
शिक्षा और स्वस्थ्य होंगे
मुद्दे विशेष।
ऐसे गंभीर मुद्दों पर
चर्चाएं भी तो होती हैं महत्त्वपूर्ण ,
सदियों से चली आ रही
परिपाटियां और अवधारणाएं।
शिक्षा और स्वास्थ्य जब होजायेगा सुलभ
और शोषित हो जायेगा शिक्षित ,
फिर कहाँ बचेगा कोई
भूखे पेट मजदूरी करने वाले मजदूर,
आखिर विकास का भार भी
तो हैं इन्ही के कर्णधारों पर।
बची रहे गरीबी
तो बचा रहेगा गरीब
मर्ज के लिए मरीज का होना भी तो जरूरी है।
हाँ चर्चा होगी
हर बार की तरह
इस बार भी इन भूखे और बेबस
बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर।
ये सब न होगा तो चर्चाओं का दौर ही खत्म हो जाएगा
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रेरक प्रस्तुति
साभार धन्यवाद
हटाएंnice info!! can't wait to your next post!
जवाब देंहटाएंgreetings from malaysia