सत्ताधारी
हो गये हैं सत्तालोलुप ,
सांठ -गाँठ
और लेन -देन के बिना
चलता ही नहीं कुछ काम।
अस्पताल , स्कूल
थाना या कोई भी
सरकारी संस्थान,
सब जगह फैला है
भ्रष्टाचार।
नहीं,नहीं
इसका नाम लेकर
न करो इन्हें बदनाम
यही तो है आजकल का
शिष्टाचार।
व्यभिचार और भ्रष्टाचार
का कोढ़ फैल चुका है
समाज के नश -नश में ,
नहीं दिख रहा कोई
उपचार ,
क्या करे कोई ,
जब सब होगये
स्वार्थवश लाचार।
कुछ नहीं हो सकता
इस राम सहारे रामराज का
या तो जनता सो रही है,
या फिर रोज़ी -रोटी के फेर में
रो रही है।
आज नहीं तो कल होना है
बंटाधार।
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