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कोरोना और हमारा देश



कोरोना एक महामारी के साथ हमारे मुँह पर एक झंनाटेदार तमाचा भी है।

हमने कभी स्वयं को इतना सुरक्षित बनाने की दिशा में प्रयास ही नहीं किए।


पिछले साल से ही यदि हम कुछ सीख पाते तो यह भयानक स्थिति शायद न होती।

लेकिन हम कहाँ सीखने वाले।


अब भी समय है आने वाली पीढ़ियों के लिए इस प्रकृति को बचा लें 

अन्यथा हम नहीं बच पायेंगे। 

जीवन जीने के लिए मूलभूत संसाधन प्रकृति ने निःशुल्क प्रदान किए हैं 

हमारा अब दायित्व है कि इसे संरक्षित करें। 

अभी भी समय है स्वयं को और आने वाले कल को सुरक्षित  कर लें।


“Perhaps we have learnt wrong definition of success once again think and find true value of that meant.”

टिप्पणियाँ

  1. सही कहा आपने।
    हम अभी भी ठोकर से कुछ नहीं सीखे।
    मैंने प्रकृति के सहयोगी के तौर पर अभियान चला रखा है। इसी अभियान पर आधारित ब्लॉग भी बनाया। आप चाहो तो इसके तहत इससे जुड़ सकते हो।
    ब्लॉग का लिंक पौधे लगायें धरा बचाएं

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