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हम क्या हैं ?

अजीब दास्ताँ है,
इस अजीब दुनिया के
 अजीब लोगो की ;
कुछ के पास 
वस्त्र नहीं 
और कुछ,वस्त्रों से 
वास्ता ही नही रखना चाहते,
शायद 
ये किसी का शौक 
और किसी की 
मजबूरी होती है,
ठीक 
इसी तरह 
कोई भूख  से
तो कोई 
भोजन से 
वंचित रहता है 
और 
जिनके पास 
सीमित साधन और
आवश्यकताएं हैं,
वो इन अजीब लोगों के
शौक और मजबूरी पर 
बेचैन हैं/
अब विचार करना है 
हम और आप 
क्या हैं ?

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मतलब का मतलब......

 मतलब की दुनिया है-जानते सभी हैं, फिर भी यहाँ मतलब निकालते सभी हैं। अपनापन एक दिखावा भर है फिर भी, जाहिर भले हो लेकिन जताते सभी हैं। झूठी शान -ओ-शौकत चंद लम्हों की है, ये जानते हुए भी दिखाते सभी हैं। नहीं रहेगी ये दौलत सदा किसी की,  जमाने में पाकर इठलाते सभी हैं। मौत है मुत्मइन इक न इक दिन आएगी, न जाने क्यूँ मातम मनाते सभी हैं।

बेख्याली

न जाने किस ख्याल से बेख्याली जायेगी; जाते - जाते ये शाम भी खाली जायेगी। गर उनके आने की उम्मीद बची है अब भी, फिर और कुछ दिन  मौत भी टाली जायेगी। कुछ तो मजाज बदलने दो मौसमों का अभी, पुरजोर हसरत भी दिल की निकाली जायेगी। कनारा तो कर लें इस जहाँ से ओ जानेजां, फिर भी ये जुस्तजू हमसे न टाली जायेगी । कि ख्वाहिश है तुमसे उम्र भर की साथ रहने को, दिये न जल पाये तो फिर ये दिवाली  जायेगी।

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