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विनम्र निवेदन !

                                           
   
                  आप सभी भारतीयों व् भारत से प्रेम करने वालों से मुझे एक जानकारी चाहिए कितने लोग सम्पूर्ण विश्व में हिंदी नव वर्ष का पेव मानते हैं? या लोगों को शुभकामनायें प्रेषित करते हैं ?शायद आप विश्व की बात छोड़ दें कितने भारतीय हिंदी नव वर्ष के विषय में जानते हैं !
   
                   मैं किसी संस्कृति विशेष का विरोध  नहीं करता ,वरन पक्षधर भी हूँ , सभी को अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए और दूसरों  की संस्कृति के साथ स्वयं की संस्कृति का भी ध्यान रखा जाय!

जब तक हम स्वयं अपनी संस्कृति का सम्मान नहीं करेंगे तब तक दूसरों से क्या आपेक्षा की जा सकती है

                  आईये हम सब मिलकर संकल्प लें की हम स्वयं की संस्कृति की समृद्धि व् विकास में यथा शक्ति प्रयास व् सहयोग  करेंगे!

                    देश, भाषा व् संस्कृति का अपमान सहना जीते जी मृत्यु के समान है, जरा सोंचें यदि  कोई आपके जन्मदाता, पालनकर्ता का अपमान करे तो क्या सहनीय होगा!शायद नही बल्कि उसके प्रति शत्रुभाव जागृत हो उठेगा !

                        लेकिन आज शायद हमारा लोभ या सोंच हमें विवश कर देता है कुछ अनचाहा करने के लिए, न जाने ये कैसी विडम्बना है की जिस देश के लोग विश्व स्तरीय चिन्तन, शोध व् ढृढ़मनस्क  थे वही आज मात्र धनार्थी, स्वार्थी और  निर्लज्ज लोग  स्वयं का ही व्यर्थ उत्थान करने में लगे हैं !

     

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 मतलब की दुनिया है-जानते सभी हैं, फिर भी यहाँ मतलब निकालते सभी हैं। अपनापन एक दिखावा भर है फिर भी, जाहिर भले हो लेकिन जताते सभी हैं। झूठी शान -ओ-शौकत चंद लम्हों की है, ये जानते हुए भी दिखाते सभी हैं। नहीं रहेगी ये दौलत सदा किसी की,  जमाने में पाकर इठलाते सभी हैं। मौत है मुत्मइन इक न इक दिन आएगी, न जाने क्यूँ मातम मनाते सभी हैं।

बेख्याली

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स्त्री !

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