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चरागों की फितरत ही है जलना

 जहां रौशन रहे,बस यही काफी है,
चरागों की फितरत ही है जलना।

जलजला आए या कि तूफान आए
बहारो में तो गुलों का ही है खिलना।

भले ही फूटे बम हर इक बाजार में,
खिलौने पर बच्चे को तो है मचलना ।

राहे गुजर की ठोकरों से क्या घबराना,
बढ़ना-गिरना - गिर कर है सम्भलना।

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