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परिवर्तन

कोई युद्ध 
अंतिम नहीं होता,
कोई क्रांति
नहीं होती आखिरी।
शांति का
पल नहीं ठहरता देर तक,
न ही ठहरती है
हवा बदलाव की।

संघर्ष पैदा हो
जाता है भूख के पैदा 
होते ही।
वो फिर चाहे 
सर्वहारा का संघर्ष हो
या फिर शोषितों का
सत्ता के खिलाफ। 

समय समय पर
होते रहेंगे 
युद्ध और क्रांतियां,
क्योंकि
परिवर्तन 
नियम जो है प्रकृति का।


टिप्पणियाँ

  1. यथार्थ अभिव्यक्ति सर।
    सादर।

    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २४ मार्च २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. संघर्ष पैदा हो
      जाता है भूख के पैदा
      होते ही।
      बहुत सटीक...
      लाजवाब सृजन।

      हटाएं

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