लड़खड़ाते कदमों से,
लिपटा हुआ चिथड़ों से,
दुर्बल तन, शिथिल मन;
लिए हाँथ में भिक्षा का प्याला !
वह देखो भिक्षुक सभय,
पथ पर चला आ रहा है/
क्षुधा सालती उदर को,
भटक रहा वह दर-दर को,
सभ्य समाज का वह बिम्ब;
जिसमें उसने जीवन ढाला,
खोकर मान-अभिमान,
पथ पर चला आ रहा है/
हर प्राणी लगता दानी ,
पर कौन सुने उसकी कहानी,
तिरिष्कार व घृणा से,
जिसने है उदर को पला ;
घुट-घुट कर जीता जीवन,
पथ पर चला जा रहा है/
हाँथ पसारे, दाँत दिखाए,
राम रहीम की याद दिलाये;
मन को देता ढाढस;
मुख पर डाले ताला,
लिए निकम्मा का कलंक,
पथ पर चला जा रहा है/
हूबहू चित्रण ... जीवन के सत्य को झेलते हैं ये ...
जवाब देंहटाएंहर प्राणी लगता दानी ,
जवाब देंहटाएंपर कौन सुने उसकी कहानी,
सच कहा आपने |
latest post महिषासुर बध (भाग २ )
आपकी लिखी रचना मुझे बहुत अच्छी लगी .........
जवाब देंहटाएंशनिवार 19/10/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
में आपकी प्रतीक्षा करूँगी.... आइएगा न....
धन्यवाद!
सही चित्रण .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : लुंगगोम : रहस्यमयी तिब्बती साधना
अच्छे भाव पिरोये हैं
जवाब देंहटाएंसच कौन सुने उसकी कहानी......
जवाब देंहटाएंमार्मिक...
अनु
बेहतरीन,सुंदर भावपूर्ण चित्रण !
जवाब देंहटाएंRECENT POST : - एक जबाब माँगा था.
बेहतर भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंउफ़ कितना मार्मिक चित्रण किया है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्रण |
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना:- "झारखण्ड की सैर"
सत्य चित्रण...
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्रण.
जवाब देंहटाएंनिराला की भिक्षुक कविता याद आ गयी...साधुवाद...।
जवाब देंहटाएंसचमुच सत्य चित्रण , भाव पूर्ण रचना , बधाई आपको ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंsundar rachna. Kya aap kisi aur DHIRENDRA ASTHANA ko jante hain?
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चित्रण , भाव पूर्ण रचना , बधाई आपको ।
जवाब देंहटाएंहर प्राणी लगता दानी ,
जवाब देंहटाएंपर कौन सुने उसकी कहानी,
तिरिष्कार व घृणा से,
जिसने है उदर को पला ;
घुट-घुट कर जीता जीवन,
पथ पर चला जा रहा है/
बहुत ही भावुक करते शब्द