सरकार की विभिन्न सरकारी योजनायें विकास के लिए नहीं; वरन "टारगेट अचीवमेंट ऑन पेपर" और अधिकारीयों की जेबों का टारगेट अचीव करती हैं! फर्जी प्रोग्राम , सेमीनार और एक्सपोजर विजिट या तो वास्तविक तौर पर होती नहीं या तो मात्र पिकनिक और टूर बनकर मनोरंजन और खाने - पीने का साधन बनकर रह जाती हैं! हजारों करोड़ रूपये इन योजनाओं में प्रतिवर्ष विभिन्न विभागों में व्यर्थ नष्ट किये जाते हैं! ऐसा नहीं है कि इसके लिए मात्र सरकारी विभाग ही जिम्मेवार हैं , जबकि कुछ व्यक्तिगत संस्थाएं भी देश को लूटने का प्रपोजल सेंक्शन करवाकर मिलजुल कर यह लूट संपन्न करवाती हैं ! इन विभागों में प्रमुख हैं स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा; कृषि, उद्यान, परिवहन, रेल, उद्योग, और भी जितने विभाग हैं सभी विभागों कि स्थिति एक-से- एक सुदृढ़ है इस लूट और भृष्टाचार कि व्यवस्था में! और हाँ कुछ व्यक्ति विशेष भी व्यक्तिगत लाभ क...
मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति सर।
जवाब देंहटाएंसादर
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ७ अप्रैल २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
समय बहुत बदल गया : आज नहीं जकड़ी जा सकती स्त्रियाँ
जवाब देंहटाएंआठ हाथ और आठ सिद्धियाँ तो जन्मसिद्ध हैं स्त्रियों में ...हाँ अब इन बनावटी भक्तों के बश में नहीं रहेगी स्वयंसिद्धा ।
जवाब देंहटाएंमूर्तियों में दिख जाते हैं आठ हाथ .....वरना स्त्रियों को काम करते देखिए तो आठ हाथ ही दिखेंगे ।
जवाब देंहटाएंव्वाहहहहहहह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
आभार
सादर
समाज को नारी का बन्ध्या और पूज्य रूप सदा भाया है।श्रद्धा की देवी बनाकर उसे सदियों उसकी सहज भावनाओं से सदैव दूर रखा गया।पर समय बदलने के साथ नारी ने भी मानवी होने के अपने अधिकार को माँगा है।उसे भी मानव होने के नाते अपनी खुशियों को मुक्त भाव से जीने का अधिकार है।
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