कैसा है ये मधुमास प्रिए,
गुमसुम है जीवन – आस प्रिए।
नीरस है जीवन राग
न कोई गीत – विहाग,
धूमिल धूमिल उजास प्रिए
कैसा है ये मधुमास प्रिए।
अब जीवन गीत सुनाए कौन
मेरे मन को बहलाए कौन,
अब तो सांसों का आना जाना भी,
बस इक आभास प्रिए
कैसा है ये मधुमास प्रिए।
गुमसुम है जीवन – आस प्रिए।
नीरस है जीवन राग
न कोई गीत – विहाग,
धूमिल धूमिल उजास प्रिए
कैसा है ये मधुमास प्रिए।
अब जीवन गीत सुनाए कौन
मेरे मन को बहलाए कौन,
अब तो सांसों का आना जाना भी,
बस इक आभास प्रिए
कैसा है ये मधुमास प्रिए।
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