आह !ये कैसा
हृदयाघात ;
चुभ रही न जाने
कौन सी ये रात ,
मौन है काल
कर रहा प्रत्याघात !
आज मृगांक भी
पूर्णिमा को
अमावस जी गया
तिमिर आज
पूनम को पी गया !!
ऊषा पूर्व
द्युति आछिन्न
नक्षत्र सी,
हो रही
निमीलित यह
किरण भी
आशा की !
सोंच कर परिणाम,
समय पूर्व आज;
छिप कहीं आज
दिनकर भी गया!
तिमिर आज
पूनम को पी गया !!
आएगा वह
प्रद्योतन
हरेगा त्रान;
करेगा शशांक को
निष्कलंक
वह अत्न!
जाने कहाँ आज
वह प्राची का वीर भी गया !
तिमिर आज
पूनम को पी गया !!
Bahut hi sunadar sir ji dil pe ek chamak chhod di aapki panktiya ,,bahut khub
जवाब देंहटाएंBahut hi sunadar sir ji dil pe ek chamak chhod di aapki panktiya ,,bahut khub
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