अदा ही कुछ ऐसी है उनकी;
चलाते हैं नश्तर, जिगर पर धीरे-२........
चलाते हैं नश्तर, जिगर पर धीरे-२........
मुराद मांगी थी, मौत बख्श दें;
पिलाते हैं प्याले, जहर भर धीरे-२........
पिलाते हैं प्याले, जहर भर धीरे-२........
दीदा-ए-दीदार तरसता रहा;
करते हैं शिकार, नजर भर धीरे-२.......
करते हैं शिकार, नजर भर धीरे-२.......
था जाहिर के बेमुरव्वत हैं वो;
जुस्तजू में मरते रहे, उम्र भर धीरे-२......
जुस्तजू में मरते रहे, उम्र भर धीरे-२......
आएगा तरस मुकद्दर को कभी;
जीते रहे लिए एक, सबर भर धीरे-२......
जीते रहे लिए एक, सबर भर धीरे-२......
अदा ही कुछ ऐसी है उनकी;
चलाते हैं नश्तर, जिगर पर धीरे-२.......
चलाते हैं नश्तर, जिगर पर धीरे-२.......
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