किसे ढूंढते हैं,
ये सूने नयन ?
स्मृतियों में क्यों,
हो रहे विह्वल ,
किस हेतु उन्मीलित,
हैं ये अविरल /
स्पंदन हीन हृदय ,
औ नीरद अयन
किसे ढूंढते हैं,
ये सूने नयन ?
अछिन्न श्वासें
ढोकर ये जीवन,
भ्रमित भटका
कोलाहल, कानन/
कब मिलेगा मुझे,
वह चिर शयन!
किसे ढूंढते हैं,
ये सूने नयन ?
श्रांत हो चली अब,
ये आहत सांसें ,
होगा कब मिलन
पूर्ण होंगी आशें!
अपूर्ण रहा कुछ शेष ,
है अपूर्ण मिलन !
किसे ढूंढते हैं,
ये सूने नयन ?
कोलाहाल/कानन, चिर शयन........बहुत सच बात।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ....
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल १४ /५/१३ मंगलवारीय चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी !
हटाएंsundar rachna! badhiayan!
जवाब देंहटाएं-Abhijit (Reflections)
अपूर्ण रहा कुछ शेष ,
जवाब देंहटाएंहै अपूर्ण मिलन !
किसे ढूंढते हैं,
ये सूने नयन ?...दिल दा मामला है ..अच्छा लगा ..मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है
"किसे ढूँढते हैं ये सूने नयन " सुन्दर और भावपूर्ण रचना मन को छू गयी |
जवाब देंहटाएंआशा
जाने क्या ढूंढती रहती है ये आँखें।।।
जवाब देंहटाएंअबूझ है कभी तो कभी जाना पहचाना !
किसे ढूंढते हैं,
जवाब देंहटाएंये सूने नयन ?.....................सुन्दर,भावपूर्ण रचना धीरंद्र जी
नयनों की भाषा या तो दिल समझता है ... या प्रेम का मारा ...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचना ...
बहुत ही सुंदर भाव पूर्ण अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंbahut sundar kavyatmak prastuti..........hamare blog par bhi aayen, pasand aane par sadasya ke roop mein shamil hokar apna sneh avasy dein.........
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्ति | आभार
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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भावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक का प्रसारण सोमवार (03.06.2013)को ब्लॉग प्रसारण पर किया जायेगा. कृपया पधारें .
जवाब देंहटाएंशायद आंख और प्रेम एक दूसरे के पूरक हैं, बहुत ही सुंदर.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुंदर ....भावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दरता से उतारा है भावनाओं को कलम से.
जवाब देंहटाएंकब मिलेगा मुझे,
जवाब देंहटाएंवह चिर शयन!
किसे ढूंढते हैं,
ये सूने नयन ?
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .
किसे ढूंढते हैं,
जवाब देंहटाएंये सूने नयन ?
लगा कि रचना जल्दी खत्म कर दी, शुभकामनायें !
श्रांत हो चली अब,
जवाब देंहटाएंये आहत सांसें ,
होगा कब मिलन
पूर्ण होंगी आशें!
अपूर्ण रहा कुछ शेष ,
है अपूर्ण मिलन !
किसे ढूंढते हैं,
ये सूने नयन ?
बहुत ही भावमय रचना, शुभकामनाएं.
रामराम.