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हम और हमारा भोजन

 सबसे पहले हम यह जान लें की हमारे लिए सबसे जरूरी हमारा शरीर और इसका स्वास्थ्य है।

इसके लिए आवश्यक है कि हम आवश्यकता के अनुसार भोजन लें जोकि  वायु, जल , और खाद्यान से प्राप्त होता है।
अब
प्रश्न यह है कि  हमारे लिए क्या और कितना भोजन आवश्यक होता है ?
यह निर्धारित करने के लिए हमें अपने शारीरिक क्षमता , श्रम और वातावरण के अनुसार भोजन को ग्रहण करना चाहिए। भोजन के साथ साथ हमें भोजन की मूल अवस्था ( नेचुरल फॉर्म ) का सबसे अधिक ध्यान रखना होगा।

                                                सुने
स्वयं के शरीर की


अक्सर हम रायचंदों और व्यावसायिक चिकित्सकों के मतानुसार दवाईयों और उनके द्वारा बताये गए उपचार के भ्रम में आकर अच्छे भले स्वास्थ्य का सत्यानाश कर लेते हैं।   जबकि हमारे शरीर  का स्व - तंत्र  पर्याप्त चिकित्सक है। 
हमारे शरीर पर ग्राह्य भोज्य के प्रभाव  उसके रूप और अवस्था के अनुरूप पड़ते हैं।  और इस के लिए हमारी  सोच  भी अपना अभिन्न योगदान करती है।

सबसे पहले यह जान लें कि आपकी मनः स्थिति ही किसी व्यवस्था, व्यक्ति और उसकी स्थिति को महत्त्वपूर्ण और सामान्य निर्धारित करती है , जिसका सीधा प्रभाव आपकी जीवन चर्या पर पड़ता है। 
प्रकृति ने हमें जो भी संसाधन प्रदान किये हैं उनमे. भोजन सबसे महत्त्वपूर्ण है जिसे कि  हमें उसी मूल  रूप में ही ग्रहण करना चाहिये।


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