सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

हां, मैं तुम्हारे प्रेम में हूं

 हां,

मैं तुम्हारे प्रेम में हूं!


तुम्हारे हांथ से गूंधे हुए 

आंटें में सना हुआ प्रेम,

या कमीज़ में टंकी हुई बटन सा 

बंधा हुआ प्रेम,


सुबह - सुबह झाड़ू की बुहार के साथ

उड़ता हुआ प्रेम

या फिर उड़द की दालके कंकड़ सा किरकिरा प्रेम।


हर एक उधड़ते हुए रिश्ते की तुरपन करता हुआ प्रेम 

या मुहल्ले की काकी- ताई 

से हसी - ठठ्ठा करती मीठी तीखी बतियों का प्रेम।

 

बच्चों के माथे पर 

काले टीके और 

गालों पर दी गई पुचकारियों का प्रेम ,


रोज बिस्तर की बदली चादर 

पर बिछा हुआ प्रेम 

या सिरहाने की जगह पर तुम्हारी गोद में रखे मेरे सर पर तुम्हारे मखमली हाथों का प्रेम।


तुम हो तो ये सब है और 

इन सब के होने से ही

प्रेम है,

हां, मैं तुम्हारे प्रेम में हूं।

टिप्पणियाँ

  1. बहुत प्यारी रचना।
    सादर।

    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १७ फरवरी २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही खूबसूरत सृजन एकदम प्रेम सा ...
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह वाह , जब प्रेम होता है तो धूल , कंकड़ , आटे में सने हाथ, .. सब प्यारे होते हैं. बहुत ही खूबसूरत बिम्बों वाली रचना.

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मुझे स्त्री ही रहने दो

मैं नहीं चाहूंगी बनना देवी मुझे नहीं चाहिए आठ हाथ और सिद्धियां आठ।   मुझे स्त्री ही रहने दो , मुझे न जकड़ो संस्कार और मर्यादा की जंजीरों में। मैं भी तो रखती हूँ सीने में एक मन , जो कि तुमसे ज्यादा रखता है संवेदनाएं समेटे हुए भीतर अपने।   आखिर मैं भी तो हूँ आधी आबादी इस पूरी दुनिया की।

"मेरा भारत महान! "

सरकार की विभिन्न  सरकारी योजनायें विकास के लिए नहीं; वरन "टारगेट अचीवमेंट ऑन पेपर" और  अधिकारीयों की  जेबों का टारगेट  अचीव करती हैं! फर्जी प्रोग्राम , सेमीनार और एक्सपोजर विजिट  या तो वास्तविक तौर पर  होती नहीं या तो मात्र पिकनिक और टूर बनकर  मनोरंजन और खाने - पीने का  साधन बनकर रह जाती हैं! हजारों करोड़ रूपये इन  योजनाओं में प्रतिवर्ष  विभिन्न विभागों में  व्यर्थ नष्ट किये जाते हैं! ऐसा नहीं है कि इसके लिए मात्र  सरकारी विभाग ही  जिम्मेवार हैं , जबकि कुछ व्यक्तिगत संस्थाएं भी देश को लूटने का प्रपोजल  सेंक्शन करवाकर  मिलजुल कर  यह लूट संपन्न करवाती हैं ! इन विभागों में प्रमुख हैं स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा; कृषि, उद्यान, परिवहन,  रेल, उद्योग, और भी जितने  विभाग हैं सभी विभागों  कि स्थिति एक-से- एक  सुदृढ़ है इस लूट और  भृष्टाचार कि व्यवस्था में! और हाँ कुछ व्यक्ति विशेष भी व्यक्तिगत लाभ क...

बेख्याली

न जाने किस ख्याल से बेख्याली जायेगी; जाते - जाते ये शाम भी खाली जायेगी। गर उनके आने की उम्मीद बची है अब भी, फिर और कुछ दिन  मौत भी टाली जायेगी। कुछ तो मजाज बदलने दो मौसमों का अभी, पुरजोर हसरत भी दिल की निकाली जायेगी। कनारा तो कर लें इस जहाँ से ओ जानेजां, फिर भी ये जुस्तजू हमसे न टाली जायेगी । कि ख्वाहिश है तुमसे उम्र भर की साथ रहने को, दिये न जल पाये तो फिर ये दिवाली  जायेगी।