हां,
मैं तुम्हारे प्रेम में हूं!
तुम्हारे हांथ से गूंधे हुए
आंटें में सना हुआ प्रेम,
या कमीज़ में टंकी हुई बटन सा
बंधा हुआ प्रेम,
सुबह - सुबह झाड़ू की बुहार के साथ
उड़ता हुआ प्रेम
या फिर उड़द की दालके कंकड़ सा किरकिरा प्रेम।
हर एक उधड़ते हुए रिश्ते की तुरपन करता हुआ प्रेम
या मुहल्ले की काकी- ताई
से हसी - ठठ्ठा करती मीठी तीखी बतियों का प्रेम।
बच्चों के माथे पर
काले टीके और
गालों पर दी गई पुचकारियों का प्रेम ,
रोज बिस्तर की बदली चादर
पर बिछा हुआ प्रेम
या सिरहाने की जगह पर तुम्हारी गोद में रखे मेरे सर पर तुम्हारे मखमली हाथों का प्रेम।
तुम हो तो ये सब है और
इन सब के होने से ही
प्रेम है,
हां, मैं तुम्हारे प्रेम में हूं।
बहुत प्यारी रचना।
जवाब देंहटाएंसादर।
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १७ फरवरी २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
साभार धन्यवाद।
हटाएंबहुत ही खूबसूरत सृजन एकदम प्रेम सा ...
जवाब देंहटाएंवाह!!!
धन्यवाद जी
हटाएंवाह वाह , जब प्रेम होता है तो धूल , कंकड़ , आटे में सने हाथ, .. सब प्यारे होते हैं. बहुत ही खूबसूरत बिम्बों वाली रचना.
जवाब देंहटाएंआभार आपका।
हटाएं