नदी
जो कभी
भरी थी यौवन से,
सदियों की
सभ्यताएं
करती थीं
अठखेलियाँ
इसकी उर्मियों में;
अब
सूख चुकी है
पूरी तरह
अवशेषित और
लुप्त हो गयी है!
हाँ,
इसकी तलहटी में बसे
गाँवों को
बाढ़ का खतरा
नहीं है अब;
" कर्मांशा"
हार चुकी है!
लेकिन
इसके दोनों ओर
हरे जंगल
और वन्य जीव
भी लुप्त हो गए हैं;
समय के साथ
अब किसी
पूर्णिमा या
अमावस पर
नहीं लगता
जमावड़ा
दूर-दूर से
आये हुए
जन सैलाबों का;
नदी के सूखने पर
नष्ट हो जाती हैं
सदियों की संस्कृति
और सूख जाया करती हैं
सभ्यताएं!
बहुत सुन्दर......
जवाब देंहटाएंजीवन के प्रतीक हैं नदियाँ......
बहुत अच्छी रचना.
अनु
नदी के सूखने पर
जवाब देंहटाएंनष्ट हो जाती हैं
सदियों की संस्कृति
और सूख जाया करती हैं
सभ्यताएं!बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
RECENT POST : प्यार में दर्द है,
सटीक .... नदियां हमारी संस्कृति को कहती हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर।
जवाब देंहटाएं(अवशेषित)को (अवशोषित)कर लें।
नदी के सूखने पर
जवाब देंहटाएंनष्ट हो जाती हैं
सदियों की संस्कृति
और सूख जाया करती हैं
सभ्यताएं!-
सभ्यता का मूलस्रोत नदियाँ हैं
latest post तुम अनन्त
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंbhavpoorn abhivyakti........
जवाब देंहटाएंvisit and follow.......
''anandkriti007.blogspot.com
sukhi nadi sundar rachana ban padi hai
जवाब देंहटाएंभावी अवसादों से आगाह कराती रचना - अति सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शब्द संयोजन और प्रभावशाली लेखन , बहुत बधाई आपको ।
जवाब देंहटाएं