सरकार की विभिन्न सरकारी योजनायें विकास के लिए नहीं; वरन "टारगेट अचीवमेंट ऑन पेपर" और अधिकारीयों की जेबों का टारगेट अचीव करती हैं! फर्जी प्रोग्राम , सेमीनार और एक्सपोजर विजिट या तो वास्तविक तौर पर होती नहीं या तो मात्र पिकनिक और टूर बनकर मनोरंजन और खाने - पीने का साधन बनकर रह जाती हैं! हजारों करोड़ रूपये इन योजनाओं में प्रतिवर्ष विभिन्न विभागों में व्यर्थ नष्ट किये जाते हैं! ऐसा नहीं है कि इसके लिए मात्र सरकारी विभाग ही जिम्मेवार हैं , जबकि कुछ व्यक्तिगत संस्थाएं भी देश को लूटने का प्रपोजल सेंक्शन करवाकर मिलजुल कर यह लूट संपन्न करवाती हैं ! इन विभागों में प्रमुख हैं स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा; कृषि, उद्यान, परिवहन, रेल, उद्योग, और भी जितने विभाग हैं सभी विभागों कि स्थिति एक-से- एक सुदृढ़ है इस लूट और भृष्टाचार कि व्यवस्था में! और हाँ कुछ व्यक्ति विशेष भी व्यक्तिगत लाभ के लिए, इन अधिकारीयों और विभागों का साथ देते हैं; और लाभान्वित होते है या होना चाहते ह
सिख देती लाजवाब पोस्ट
जवाब देंहटाएंपधारिये आजादी रो दीवानों: सागरमल गोपा (राजस्थानी कविता)
राह दिखाती पंक्तियाँ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्दसंयोजन...
अनु
लक्ष्य सबका निर्वाण ही है। नए शब्द-संयोजन से युक्त सार्थक कविता।
जवाब देंहटाएंप्रेरक पंक्तियाँ...!!!
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंसाझा करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंरंगीन दुनिया के चक्कर में पथिक लक्ष्य से भ्रमित हो गए हैं .सच कहा आपने
latest post सुहाने सपने
bahut sundar prastuti ...badhai
जवाब देंहटाएंswagat hai http://sapne-shashi.blogspot.com
sundar shabd sanyojan ...
जवाब देंहटाएंशानदार सार्थक प्रस्तुति हेतु बधाई
जवाब देंहटाएंभाव प्रेरक है!
जवाब देंहटाएंअति उत्तम ...आभार
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर रचना..
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