कतरा- कतरा जिन्दगी जीने से बेहतर है
एक पल मुस्कराते हुए जाँ लुटा दे !
मिल जायेगी ये शोहरत भी धूल में,
बेहतर है खुद को वतन पे मिटा दे !
शर्म से झुकना सर का, जिल्लत है,
क्यों न मादरे-वतन पे कटा दे !
सभी राहों से पाकीज़ा है कुर्बानियों की,
अपना भी कदम एक बढ़ा दे !
बन जाएगी तेरी हस्ती भी यहाँ,
गर तू खुद को नींद से जगा दे !
कतरा- कतरा जिन्दगी जीने से बेहतर है
एक पल मुस्कराते हुए जाँ लुटा दे !
देशभक्ति और स्वाभिमान से जीने मार्ग अपनाने का आवाहन करने वाली कविता।
जवाब देंहटाएं... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
जवाब देंहटाएंसभी राहों से पाकीज़ा है कुर्बानियों की,
जवाब देंहटाएंअपना भी कदम एक बढ़ा दे ...
देश पे कुर्नाब होने वाले कम हैं आज ... बस दोहन करना चाहते हैं देश का ...
अच्छे शेरों के माध्यम से मन की बात कही है ...
जवाब देंहटाएंसभी राहों से पाकीज़ा है कुर्बानियों की,
अपना भी कदम एक बढ़ा दे !
बहुत उम्दा
latest post"मेरे विचार मेरी अनुभूति " ब्लॉग की वर्षगांठ
देश-भक्ति से ओत-प्रोत कर गई आपकी रचना
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें ....
देशभक्ति का अहसास जगाती सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व प्रेरणा दायक विचार ... बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर शेर ,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : प्यार में दर्द है,
सुन्दर शेर.
जवाब देंहटाएंbahut umda...
जवाब देंहटाएंदेशभक्ति पूरण रचना के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंतेरे मन में राम [श्री अनूप जलोटा ]
बहुत तेजस्वी रचना
जवाब देंहटाएंआपकी यह अद्वितीय प्रस्तुति 'निर्झर टाइम्स' पर लिंक की गई है। कृपया अवलोकन करें। आपकी प्रतिक्रिया एवं सुझाव सादर आमन्त्रित है।
जवाब देंहटाएंउम्दा है ...बधाई
जवाब देंहटाएंकाश,सभी के अंतर में इसकी प्रतिध्वनियाँ जाग जाएँ !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और देश-प्रेम से ओत-प्रोत रचना ....बहुत आनंद आया . ऐसे विचरों की आज सबसे ज्यादा जरूरत है
जवाब देंहटाएंशाबाश ..
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें कलम को ..