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आदमियत से आदमी तो न चुरा !

हँसते हैं लोग तो हँसने दो,
खुद से नज़रें तो न चुरा !

कब छुपती है आईने से हकीकत,
हकीकत से नजरें तो न चुरा !

हो रहा है ज़ार-ज़ार कफ़न,
ताबूत से लाश तो न चुरा !

दुश्वार है जीना एक आदमी का,
आदमियत से आदमी तो न चुरा !

मुफलिसी या अमीरी फर्क चश्मे का,
भूख से निवाले तो न चुरा !

टिप्पणियाँ

  1. अंतिम पंक्ति में शायद "भूखे से निवाले मत चुरा हैं "क्या ?
    बहुत ही सार्थक लेखन ,अस्थाना सर जी ,|
    पढ़िए-..............लिंक सहित -
    प्रकृति के मनमोहक ,शांत वातावरण में ...मन में उमड़े कुछ उच्च विचार ,जो सफलता ,समृद्धि और शांति की ओर ले जाते हैं |पढ़िए-
    “एक शाम संगम पर {नीति कथा-डॉ.अजय} "
    एक अविवाहित युवक का विवाहित जीवन के बारे में सुंदर कथा ...सुदर रूपको से सजी कथा ...पढ़िए -
    “तू मेरी जिंदगी हैं ....{कथा लेखन -डॉ.अजय यादव }"
    हम सबमे अनंत शक्तियाँ हैं,हम सब इस पृथ्वी पर जन्मे ईश्वर के अंश हैं ,हमारी शक्तियों पर शोर्ट नोट-
    “आपके अवचेतन मन की शक्तियाँ"
    अक्सर जिंदगी गुजर जाने के बाद ..कुछ चीजों का अफ़सोस रह जाता हैं .अभी वक्त हैं ..सचेत करने वाली पोस्ट -
    “जिंदगी {आपसे कुछ कह रही हैं ....}"
    अपने जीवन कों खूबसूरती,स्वास्थ्य ,सफलता ,उत्तमता ,ध्यान समृद्धि से कैसे भरे ,आडियो गाईडेंस युक्त पोस्ट ,जरुर पढे,व सुने -
    “हर सपना होंगा सच-बैज्ञानिक ढंग से तैयार विजुलायिजेसन की आडियो "
    आडियो प्रोग्राम ,आडियो लोड कीजिये आँख मुद् कर शांत जगह बैठिये ,गहरे मेडिटेशन कों महसूस कीजिये -
    “उर्जा का अथाह सागर ....अवचेतन मन "
    मेरी २४ वर्षीया शिक्षिका ,जो इस दुनिया में नही हैं ,पर इस दुनिया कों जो देकर गयी ,उसके लिए आज भी उनके छात्र और मित्र रोते हैं ,सुंदर कथा
    “रेखा मैडम "


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  2. मुफलिसी या अमीरी फर्क चश्मे का,
    भूख से निवाले तो न चुरा ..
    सच कहा है .. भूख तो सभी की एक सी होती है ... निवाले नहीं चुराने चाहियें ... लाजवाब हैं हर शेर ...
    स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनायें ...

    जवाब देंहटाएं
  3. हो रहा है ज़ार-ज़ार कफ़न,
    ताबूत से लाश तो न चुरा !

    दुश्वार है जीना एक आदमी का,
    आदमियत से आदमी तो न चुरा !
    बहुत खूब अस्थाना जी

    जवाब देंहटाएं

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